Close Menu
    Facebook X (Twitter) Instagram YouTube
    • Home
    • About Us
    • Contact Us
    • MP Info RSS Feed
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Local Samachar
    • Home
    • देश
    • विदेश
    • राज्य
    • मध्यप्रदेश
      • मध्यप्रदेश जनसंपर्क
    • छत्तीसगढ़
      • छत्तीसगढ़ जनसंपर्क
    • राजनीती
    • धर्म
    • अन्य खबरें
      • मनोरंजन
      • खेल
      • तकनीकी
      • व्यापार
      • करियर
      • लाइफ स्टाइल
    Local Samachar
    Home»राज्य»छत्तीसगढ़»नक्सलवाद से घिरे क्षेत्र में अहिंसा की मिसाल, 73 वर्षों का संघर्ष और सफलता की कहानी
    छत्तीसगढ़

    नक्सलवाद से घिरे क्षेत्र में अहिंसा की मिसाल, 73 वर्षों का संघर्ष और सफलता की कहानी

    News DeskBy News DeskMay 24, 2025No Comments4 Mins Read
    Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr WhatsApp Email Telegram Copy Link
    नक्सलवाद से घिरे क्षेत्र में अहिंसा की मिसाल, 73 वर्षों का संघर्ष और सफलता की कहानी
    Share
    Facebook Twitter LinkedIn WhatsApp Pinterest Email

    रायपुर

    तिहत्तर साल बीत गए, पांच पीढ़ियां खप गईं, तब जाकर छत्तीसगढ़ में नगरी-सिहावा के आंदोलन का एक चक्र पूरा हुआ। दुष्यंत कुमार की पंक्तियां याद आती हैं – “पिछले सफर की न पूछो, टूटा हुआ एक रथ है, जो रुक गया था कहीं पर फिर साथ चलने लगा है।”

    नक्सलवाद के लाल गलियारे के बीच नगरी-सिहावा अहिंसा का एक टापू है। 1952 से अब तक यहां के आदिवासियों ने पीढ़ी दर पीढ़ी अपने भूमि अधिकारों के लिए निरंतर अहिंसक संघर्ष किया। जब नया छत्तीसगढ़ राज्य बन रहा था, तब लंबे समय तक भूखे-प्यासे रहकर हजारों आदिवासी ने राजधानी रायपुर में डेरा डाले थे और देश की आज़ादी के बाद से चल रहे इस आंदोलन को गति दे रहे थे।

    डॉ. राममनोहर लोहिया सन् 1952 में छत्तीसगढ़ अंचल में धमतरी जिले के उमरादेहान गांव में आए थे। यहीं से उन्होंने जंगलों में बसे आदिवासियों के भूमि-अधिकार का मुद्दा उठाया था। आज भारत में आदिवासियों को आजीविका के लिए ज़मीन मिली है, वनग्रामों को राजस्व ग्राम जैसी सुविधाएं मिल रही हैं। इन सबके मूल में नगरी-सिहावा का ही आंदोलन है। इसी उमरादेहान गांव में आगामी 24 मई को डॉ. राममनोहर लोहिया की अर्ध-प्रतिमा का अनावरण होने जा रहा है। आदिवासियों ने एक-एक मुठ्ठी अनाज हर घर से लेकर प्रतिमा तैयार कराई है।

    लोहिया जी जब तक रहे, यानी 1967 तक, इस आंदोलन का नेतृत्व किया। 1977 के बाद इसकी बागडोर देश के सुप्रसिद्ध समाजवादी नेता रघु ठाकुर ने संभाली। उनका समूचा जीवन संघर्ष और आंदोलनों में बीता। आपातकाल में उन्नीस महीने जेल में रहे।

    अनेक संघर्षों के बाद सन् 1990 आते-आते नगरी-सिहावा के अठारह में से तेरह गांवों के आदिवासियों को ज़मीन का पट्टा मिल गया, पर पांच गांव फिर भी छूट गए। इससे पांच साल पहले प्रधानमंत्री राजीव गांधी यहां दुगली में आए थे, आदिवासियों की झोपड़ी के सामने चारपाई पर बैठे थे, पर आदिवासियों को उनके हक बिना पदयात्रा, प्रदर्शन व अनशन के नहीं मिले। रघु ठाकुर ने जाकर आदिवासियों के इस आंदोलन को तेज किया। उसी दुगली से रायपुर तक 120 किमी की पदयात्रा की जिसमें हजारों आदिवासी – आदमी, औरतें और बच्चे पैदल चले थे।

    इन आंदोलनों में पत्रकार मधुकर खेर, गोविंदलाल वोरा, सत्यनारायण शर्मा, नारवानी जी व रमेश वल्यानी का बड़ा सहयोग मिला। सरकार के मंत्रियों ने आकर आश्वासन देकर आंदोलन स्थगित कराया, पर वादा पूरा नहीं किया। रघु जी को फिर रायपुर आकर अंबेडकर चौक पर अनशन शुरू करना पड़ा। सांसद जॉर्ज फर्नांडीस और शरद यादव ने आकर गिरफ्तारियां दीं, मुख्यमंत्री मोतीलाल वोरा ने हस्तक्षेप किया, तब जाकर दोनों पक्ष में समझौते के कागज़ तैयार हुए। इसके तहत तय हुआ कि अठारह गांवों के कब्जे की ज़मीन की जांच कराई जाएगी और निर्धारित नियम के तहत पट्टे दिए जाएंगे। जिन पांच गांवों को उजाड़ा गया है, उन गांवों के लोगों की भी झोपड़ियों को दुरुस्त कराकर बसाया जाएगा, ज़मीन दी जाएगी। तेरह गांवों को तो पट्टा मिल गया, लेकिन यही पांच गांव को पट्टा मिलने में पच्चीस साल और लग गए।

    देश की जनता के सामने जब भी इस आंदोलन का इतिहास आएगा, सुखराम नागे, जुगलाल नागे, बिसाहूलाल साहू, रामू, बिसाहिन बाई, समरीनबाई, रामप्रसाद नेताम, गौड़ा राय, वंशी श्रीमाली, जालिम सिंह जैसे अनेक लोगों का संघर्ष सभी को प्रेरणा देगा।

    इस आंदोलन के संदर्भ में यह बताना भी जरूरी है कि कुछ लोग सत्ता में रहते हुए भी समय पर कुछ नहीं कर पाए, कुछ ने समय का लाभ उठाकर अपने वैचारिक समर्थकों को उपकृत किया, तो कुछ आदिवासियों को समाजवादी धारा से हटाकर अपनी-अपनी राजनीतिक ज़मीन पुख्ता करने का प्रयास किया।

    नगरी-सिहावा का तिहत्तर साल चला आंदोलन अभी थमा नहीं है। यह चिकित्सा और शिक्षा के मूल अधिकार की लड़ाई को आगे ले जाएगा। इस आंदोलन का कई कारणों से ऐतिहासिक महत्व है। नक्सली हिंसा से घिरे वनांचल में यह अहिंसा का टापू है। भारत का पहला वनग्राम सम्मेलन यहीं से शुरू हुआ। और, वन अधिकार कानून का जन्मदाता यही क्षेत्र है। यहां की महिलाओं की मुक्त भावना और संघर्ष के जज़्बे से शेष भारत प्रेरणा ले सकता है।

    News Desk

    Related Posts

    दिल्ली से लौटे सीएम विष्णुदेव साय, विकास और मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर हुई महत्वपूर्ण चर्चा

    August 2, 2025

    समृद्ध और खुशहाल किसान – विकसित छत्तीसगढ़ का मजबूत आधार : मुख्यमंत्री साय…

    August 2, 2025

    बलरामपुर रामानुजगंज: एकलव्य विद्यालय की अधीक्षका ने की आत्महत्या, 45 दिन में पांचवीं घटना

    August 2, 2025

    नक्सल विरोधी अभियान में बड़ी सफलता, दो लाख के इनामी सहित तीन नक्सली गिरफ्तार

    August 2, 2025

    मानव तस्करी और धर्मांतरण के आरोप में गिरफ्तार ननों को एनआईए कोर्ट से मिली जमानत

    August 2, 2025

    रायपुर-जबलपुर के बीच नई एक्सप्रेस ट्रेन 3 अगस्त से शुरू, यात्रियों को बड़ी राहत

    August 2, 2025
    विज्ञापन
    विज्ञापन
    हमसे जुड़ें
    • Facebook
    • Twitter
    • Pinterest
    • Instagram
    • YouTube
    • Vimeo
    अन्य ख़बरें

    दिल्ली से लौटे सीएम विष्णुदेव साय, विकास और मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर हुई महत्वपूर्ण चर्चा

    August 2, 2025

    समृद्ध और खुशहाल किसान – विकसित छत्तीसगढ़ का मजबूत आधार : मुख्यमंत्री साय…

    August 2, 2025

    बलरामपुर रामानुजगंज: एकलव्य विद्यालय की अधीक्षका ने की आत्महत्या, 45 दिन में पांचवीं घटना

    August 2, 2025

    नक्सल विरोधी अभियान में बड़ी सफलता, दो लाख के इनामी सहित तीन नक्सली गिरफ्तार

    August 2, 2025
    हमारे बारे में

    यह एक हिंदी वेब न्यूज़ पोर्टल है जिसमें ब्रेकिंग न्यूज़ के अलावा राजनीति, प्रशासन, ट्रेंडिंग न्यूज, बॉलीवुड, खेल जगत, लाइफस्टाइल, बिजनेस, सेहत, ब्यूटी, रोजगार तथा टेक्नोलॉजी से संबंधित खबरें पोस्ट की जाती है।

    Disclaimer - समाचार से सम्बंधित किसी भी तरह के विवाद के लिए साइट के कुछ तत्वों में उपयोगकर्ताओं द्वारा प्रस्तुत सामग्री ( समाचार / फोटो / विडियो आदि ) शामिल होगी स्वामी, मुद्रक, प्रकाशक, संपादक इस तरह के सामग्रियों के लिए कोई ज़िम्मेदार नहीं स्वीकार करता है। न्यूज़ पोर्टल में प्रकाशित ऐसी सामग्री के लिए संवाददाता / खबर देने वाला स्वयं जिम्मेदार होगा, स्वामी, मुद्रक, प्रकाशक, संपादक की कोई भी जिम्मेदारी नहीं होगी. सभी विवादों का न्यायक्षेत्र रायपुर होगा

    हमसे सम्पर्क करें
    संपादक - Roshni Rajput
    मोबाइल - 9399298630
    ईमेल - [email protected]
    छत्तीसगढ़ कार्यालय - Amrit Niwas,Gandhi Nagar Gudhiyari Raipur
    मध्यप्रदेश कार्यालय - S-215 Om Complex Near Bima Kunj Kolar Road Bhopal
    August 2025
    M T W T F S S
     123
    45678910
    11121314151617
    18192021222324
    25262728293031
    « Jul    
    Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
    • Home
    • About Us
    • Contact Us
    • MP Info RSS Feed
    © 2025 ThemeSphere. Designed by ThemeSphere.

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.