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    Home»राज्य»छत्तीसगढ़»पारंपरिक खेती से बाहर निकलकर गुलाब की खेती की ओर कदम बढ़ाने वाले देवेंद्र आज एक उदाहरण बन चुके
    छत्तीसगढ़

    पारंपरिक खेती से बाहर निकलकर गुलाब की खेती की ओर कदम बढ़ाने वाले देवेंद्र आज एक उदाहरण बन चुके

    News DeskBy News DeskApril 9, 2025No Comments3 Mins Read
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    पारंपरिक खेती से बाहर निकलकर गुलाब की खेती की ओर कदम बढ़ाने वाले देवेंद्र आज एक उदाहरण बन चुके
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    रायपुर
    कोरोना काल ने लाखों लोगों की जिंदगी को हिलाकर रख दिया था। मगर, कुछ लोग उस मुश्किल दौर को अपनी मेहनत और संघर्ष से न केवल पार किया, बल्कि उसे अपनी सफलता की सीढ़ी भी बना लिया। बालोद जिले के 26 साल के देवेंद्र कुमार सिन्हा की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। बेरोजगारी और अनिश्चितता के बीच जब हर रास्ता बंद दिखता था, तब उनकी पत्नी दीप्ति और पिता भुनेश्वर प्रसाद सिन्हा ने उन्हें उम्मीद दी और उनका हौसला बढ़ाया। पारंपरिक खेती से बाहर निकलकर गुलाब की खेती की ओर कदम बढ़ाने वाले देवेंद्र आज एक उदाहरण बन चुके हैं। अपनी मेहनत और पत्नी के हौसले से उन्होंने न केवल अपनी किस्मत बदली, बल्कि लाखों की कमाई कर दूसरों के लिए प्रेरणा का स्रोत बने हैं।

    2022 में गेंदे की खेती से की शुरुआत
    युवा किसान देवेंद्र कहते हैं, ‘मेरी पत्नी के पिताजी गेंदे की खेती करते थे। इसलिए उन्हें इसका अनुभव था। पत्नी ने खेती का आइडिया दिया। गवर्नमेंट की वेबसाइट में सरकारी मदद के बारे में सर्च किया। इसके बाद वर्ष 2022 में गेंदे की खेती की शुरुआत की। वहीं, 60 डिसमिल में गुलाब लगाया।’

    वर्तमान में वह एक एकड़ में गुलाब, दो एकड़ में रजनीगंधा और आधा एकड़ में गेंदे की खेती तैयार कर रहे हैं। गुलाब और अन्य फूलों की आधुनिक खेती को देखने और समझने के लिए अन्य किसान भी उनके पास आ रहे हैं।

    8-10 मजदूरों को दे रहे सालभर रोजगार
    किसान देवेंद्र ने बताया कि उनके गुलाब के फूलों की मांग दुर्ग, रायपुर से लेकर ओडिशा तक है। अब अन्य जगहों से भी मांग आ रही है। उन्हें सालाना 15 से 20 लाख रुपये की आमदनी हो रही हैं। आज वे आठ से 10 मजदूरों को भी सालभर रोजगार दे रहे हैं। उन्होंने बताया कि स्नातक की पढ़ाई करने के बाद वे ठेका लेकर सरकारी और निजी उद्यान बनाने और विकसित करने का कार्य करते थे। देवेंद्र ने बताया कि गुलाब की खेती के लिए मिट्टी चयन में परेशानी हुई क्योंकि इसके लिए काली मिट्टी उपयुक्त नहीं रहती। लाल मिट्टी की आवश्यकता होती है। लाल मिट्टी के जगह मुरुम का उपयोग किया।

    पुणे और बेंगलुरु से मंगाया पौधा
    उन्होंने बताया कि गुलाब के 32 हजार पौधे पुणे और बेंगलुरु से मंगवाए थे। इसमें दो किस्में टाप सीक्रेट और जुमेलिया हैं। टाप सीक्रेट गुलाब को ताजमहल के नाम से भी जाना जाता है। वहीं, रजनीगंधा कोलकाता से मंगाया है।

    पाली हाउस बनाने में आया बड़ा खर्च
    उन्होंने बताया कि गुलाब की खेती के लिए लगभग 60 से 70 लाख रुपये का खर्च आया। जब मैंने खेती करना शुरू किया, तो इसकी लागत को लेकर विचार विमर्श कर रहे थे। कहीं ज्यादा तो लागत नहीं आएगी। सबसे ज्यादा लागत पाली हाउस बनाने में आई।

    पाली निर्माण के लिए लगभग 52 लाख रुपए का खर्च आया। इसके लिए उन्हें शासन से भी सब्सिडी भी मिली। 40 लाख रुपए उन्होंने लोन लिया और करीब 13 लाख स्वयं लगाया। अब उनकी अच्छी आमदानी भी हो रही है। देवेंद्र ने बताया कि 20 से 30 गुलाब के बुके की कीमत 150-250 रुपये तक मिल जाती है। वहीं, रजनीगंधा को भी बाजार पहुंचाने लगे हैं।

    News Desk

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